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Tuesday, 3 February 2015

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आगे की कहानी 
पेज -2 
कमला -भगवान के लिए ऐसा मत कहो ,झाड़ फूक भी                  कई लोग कर चुके है  फिर भी फायदा नही । 
दीनानाथ -कमला ,समझ ने की कोशिश करो ,क्या                        इलाज से ज्यादा झाड़ फूक मै विश्वास रखती हो । 
कमला -जब  इलाज से कोई फायदा नही होता तो कभी                कभी भूत- प्रेत बाधा का चक्कर बन जाता है
दीनानाथ -कमला ,मुझे कुछ नही है [कराहते हुए ]
              कुरता धोती पहने हुए ,बिस्तर पे लैटे हुए ,पैरो से गले तक भागल पुरी चादर ओढ़े हुए है । 
असरफ का प्रवेश 
सेठ दीनानाथ के बचपन के मित्र ,गरीब व्यक्ति है                        ,कमीज ,तहमल लपेटे है हाथ मे छड़ी है । 
असरफ -नमस्कार भाई साहब , क्या अब थोड़ी आराम                                     मिली है ?
से ० दीनानाथ -असरफ भाई ,जो भगवान को मंजूर                            होगा वही होगा ।अब बहुत मुश्किल है                                          [आँखों मै आँसू आ जाते है 

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यह नाटक हमारे  प्रिय पिता जी का
                                     पहला नाटक है
                                              अज्ञानता 
              पात्र परिचय 
सेठ दीनानाथ -       व्यवसाई धनी सेठ । 
कमला -              पत्नी दीनानाथ ।
राधा -        पुत्री दीनानाथ । 
विशाल -  सेठ जी का नौकर [अनपढ]
 असरफ खां - फल विक्रेता [सेठ जी का बचपन का मित्र ]
साजिया -पुत्री असरफ खां 
डॉक्टर अतुल राय -ऍम०  डी० ,मै ० डी ० ,न्यूरोलॉजी ,न्यूरोलॉजिस्ट ,
मस्तिस्क रोग विशेषज्ञ । 
सायकल का समय है कमला [हरी हल्के रंग की साड़ी ]और सफ़ेद  ब्लाउज़  पहने हुए  है । 
भगवान पे अटल विश्वास रख़्ती है 
भगवान शिव के मंदिर मै घण्टा बजाकर आरती कर रही है -
""ॐ  जय जय साम्ब सदा शिव ,जय जय साम्ब सदा शिव ,
सन्तन सुखकारी , ॐ हर हर महादेव -२ 
आरती कर भगवान को नमन कर घर वापस आती है 
सेठ दीनानाथ बिस्तर पर लेटे चीख रहे है 
से ० दीनानाथ - आह आह आह , आज सर बहुत तेजी से  दर्द हो रहा है 
कमला-भगवान का आरती  प्रसाद लो , सब ठीक हो जायेगा । 
है शिव तेरी जय जय कार हो । 
दीनानाथ -दिमागी बुखार उत्तर जाने के बाद से सर दर्द कम नही हो रहा है । कमला -सर दर्द की बहुत गोलिया खा चुके हो ,परन्तु आराम बिल्कुल नही हो रहा है 
दीनानाथ -सोचते हुए ,कमला , अब मालूम हो रहा है ,की मै अधिक समय तक नही चल सकूंगा । 
                                                            लेखक -श्री पं ० मिथिलेश कुमार दिक्षित  
 सहयोगिनी  -श्री गीता दिक्षित 
पुत्र -[ शिवपूजन दिक्षित]                                                  पेज -

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