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Tuesday, 3 February 2015

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आगे की कहानी 
पेज -2 
कमला -भगवान के लिए ऐसा मत कहो ,झाड़ फूक भी                  कई लोग कर चुके है  फिर भी फायदा नही । 
दीनानाथ -कमला ,समझ ने की कोशिश करो ,क्या                        इलाज से ज्यादा झाड़ फूक मै विश्वास रखती हो । 
कमला -जब  इलाज से कोई फायदा नही होता तो कभी                कभी भूत- प्रेत बाधा का चक्कर बन जाता है
दीनानाथ -कमला ,मुझे कुछ नही है [कराहते हुए ]
              कुरता धोती पहने हुए ,बिस्तर पे लैटे हुए ,पैरो से गले तक भागल पुरी चादर ओढ़े हुए है । 
असरफ का प्रवेश 
सेठ दीनानाथ के बचपन के मित्र ,गरीब व्यक्ति है                        ,कमीज ,तहमल लपेटे है हाथ मे छड़ी है । 
असरफ -नमस्कार भाई साहब , क्या अब थोड़ी आराम                                     मिली है ?
से ० दीनानाथ -असरफ भाई ,जो भगवान को मंजूर                            होगा वही होगा ।अब बहुत मुश्किल है                                          [आँखों मै आँसू आ जाते है 

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